मौसम विभाग ने इस साल के पहले ही मानसून की भविष्यवाणी की है, जिसमें मौसम विभाग ने बताया है कि इस साल बारिश कैसे होगी, कितने बादल बरसेंगे इस आर्टिकल में जान लेंगे। चार साल 2019 और 2022 में देश भर में भारी बारिश के कारण कई राज्यों की हालत और खराब हो गई थी । असम, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, इन राज्यों में बारिशने हड़कंप मच्याया । वहीं, साल 2023 में मौसम विभाग ने 92 फीसदी बारिश का संकेत दे रहे है । 2023 में भी मौसम विभाग ने बारिश का अनुमान जताया है। लेकिन बारिश पर अल नीनो तूफान के असर की आशंका जताई जा रही है.
चूंकि अल नीनो तूफान पिछले दो वर्षों से सक्रिय है, इसके परिणामस्वरूप बारिश जादा होती है। इसी साल प्रशांत महासागर में अल-नीनो उपस्तित होने की जानकारी मौसम विभाग ने दी है। इस वजह से भारत में मानसून की स्थिति को लेकर चिंता जताई जा रही है. लेकिन भारत के पास चिंता करने की स्थिति नहीं है। अल नीनो के बावजूद 90 फीसदी मॉनसून बारिश दर्ज की गई है, ऐसी संभावना जताई गई है। और US हवामान विभाग ने भी मानसून को लेकर अंदाज जताया ही . पिछले तीन साल से अच्छी बारिश हुई है। कुछ जगहों पर तेज बारिश भी दर्ज की गई। हालांकि इस साल यह सच है, अमेरिकी मौसम विभाग ने जानकारी दी है कि आने वाले साल में बारिश की मात्रा में कमी आएगी। अमेरिकी मौसम सेवा और अमेरिकी मौसम विज्ञान विभाग (एनओएए) की रिपोर्ट के अनुसार, ला नीनो लगातार तीन वर्षों के अच्छे मानसून की विदाई कर रहा है ऐसा मानना है.
भारतीय मौसम विशेषज्ञ की क्या सोच हैं?
इस बार मानसून पर मौसमी प्रभाव अल नीनो का खतरा बहुत जादा है। इससे बारिश सामान्य से काफी कम होने की संभावना जताइए जा रही है और देश को सूखे का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही अत्यधिक मौसम के कारण फसलों पर भी बुरा असर पड़ेगा। पैदावार कम होने से महंगाई बढ़ेगी। अल नीनो तब होता है जब प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह गर्म हो जाती है। यह दक्षिण-पश्चिम मानसून को प्रभावित करता है। एनओएए यानी नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने भविष्यवाणी की है कि अल नीनो का असर मई-जुलाई के बीच वापस आ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह अवधि गर्मी और मानसून के मौसम को जोड़ती है। जून से सितंबर तक मानसून सक्रिय रहता है।
अल नीनो की संभावनाएं लगातार बढ़ रही हैं, और इस बारे में लगभग हर दिन रिपोर्टें आ रही हैं। एल नीनो प्रशांत महासागर की असामान्य वार्मिंग बनाता है, और यह भारतीय मानसून को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने के लिए जाना जाता है, और पूर्वानुमान में अधिक स्पष्टता या अधिक सटीकता केवल पहले गर्मियों के महीनों में आने की संभावना रहती थी । इसलिए, मई तक हमें यह स्पष्ट हो जाएगा कि अल नीनो कितना मजबूत है और वास्तव में इससे कौन से महीने प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए इस साल औसत से काफी कम बारिश होगी ऐसा मानना है. कई जगा जादा और कई जगा, भारी बारिश के कारण फसलों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इस मानसून के मौसम में आय कम होने के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने का अनुमान है।
मैरीलैंड विश्वविद्यालय में प्रोफेसरस ने समझाया कि जब मौसमी प्रभाव ला नीना होता है, तो उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर गर्मी को अवशोषित करता है और पानी का तापमान बढ़ जाता है। अल नीनो के प्रभाव के दौरान यह गर्म पानी पश्चिमी प्रशांत से पूर्वी प्रशांत क्षेत्र की ओर बहती है । ला नीना की लगातार तीन अवधियों का मतलब है कि गर्म पानी की मात्रा अपने चरम पर है। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि अल नीनो का प्रभाव फिर से लौटने वाला है। इसके संकेत बसंत ऋतु से ही मिलने लगे हैं। लेकिन आने वाले महीनों में इसमें कुछ बदलाव हो सकता है। यदि कोई मॉडल 2 महीने के लिए एल नीनो का संकेत देता है तो उसे गंभीरता से लेने की जरूरत है।
पंजाबराव डख का मानसून 2023 के लिए पूर्वानुमान क्या है ?
पंजाबराव डख एक लोकप्रिय हवामान शोधकर्ता है विशेष रूप से महाराष्ट्र में किसानों के बीच बहुत लोकप्रिय है। किसानों का दावा है कि उनकी मौसम संबंधी भविष्यवाणी सटीक होती है। किसानों की हमेशा यह राय रही है कि डख का मौसम पूर्वानुमान उनके लिए खेती में उपयोगी है। पंजाराव द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार यदि 11 जून को दोपहर ठीक बारह बजे आकाश में सूर्य के चारों ओर एक गोल वलय दिखाई दे तो उस वर्ष सूखा पड़ना निश्चित है। ऐसे वर्ष में वर्षा बहुत कम होती है। हालांकि ऐसे साल सूखे की वजह से किसानों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। लेकिन पंजाबराव डक ने बताया है कि 2019 के बाद ऐसी स्थिति नहीं बनी है. इसलिए उन्होंने कहा कि 2019 के बाद महाराष्ट्र में सूखा नहीं पड़ेगा। इसके अलावा उन्होंने कहा कि जिस गांव या इलाके में 15 मई से 30 मई के बीच बारिश होती है, वहां अगर दो-तीन बूंद भी बारिश हो जाती है, तो अगले साल के मानसून सीजन में ज्यादा बारिश होती है. हालांकि, अगर किसी गांव या क्षेत्र में 15 मई से 30 मई के बीच बारिश नहीं होती है, तो अगले साल ऐसे क्षेत्र में मानसून एक महीने देरी से आता है। एक महीने की देरी से किसानों की बुवाई में देरी इससे फसल उत्पादन में कमी आने का खतरा है. आनेवाले समयमे हम आपको मौसम के बारे और पंजाबराव डख का भी अनुमान आपको बतायेगे।
एल नीनो क्या है (El Nino)?
अल नीनो एक जलवायु प्रणाली का बड़ा हिस्सा है और मौसम को प्रभावित करता है। अल नीनो की स्थिति हर 03 से 06 साल में आती है। El Nino एक ऐसी स्थिति है जिसमें मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के क्षेत्र में सतही जल सामान्य से अधिक गर्म हो जाता है। इस स्थिति के कारण हवा का पैटर्न बढ़ जाता है और यह दुनिया के कई हिस्सों में मौसम को प्रभावित करता है। इससे पहले 2004, 2009, 2014 और 2018 में अल नीनो की स्तिथि थी, इन सभी वर्षों में देश ने सूखे पड़ने का अनुभव लिया है । 2023 में भी यही भविष्यवाणी की जा रही है।
India Meteorological Department (IMD) का क्या मानना है?
आईएमडी हर साल दो चरणों में मानसून की बारिश का पूर्वानुमान देती है। पहली भविष्यवाणी अप्रैल में और दूसरी जून में आती है। पहले चरण में, पूरे देश में मानसून के मौसम (जून-सितंबर) के दौरान वर्षा का पूर्वानुमान मौसम विभाग द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। ला नीना के प्रभाव से भारत में जुलाई में सबसे अच्छा मानसून रहेगा। इस दौरान भारी बारिश भी हो सकती है। अगस्त तक ला नीना तटस्थ स्थिति में पहुंच जाएगा, स्काईमेट के मुताबिक सामान्य तौर पर में 26 से 27 जून तक मानसून पहुंचता है। जुलाई में मानसून अपने पूरे शबाब पर होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (FAQ)
2023 का मानसून भारत में कब आएगा?
मौसम विभाग (IMD) ने कहा है कि दक्षिण पश्चिम मानसून जून के पहले सप्ताह से आएगा और सितंबर में वापसी के चरण में प्रवेश करेगा। यह सामान्य तिथि से कुछ दिन पहले की बात है। दक्षिण पश्चिम मानसून की वापसी की सामान्य तिथि 17 सितंबर है। हलकि इस साल मानसून अपने नियमित रूपसे जून में पोहचेगा अगर हवमान में बदल होते है तो ये अनुमान थोड़ा आगे पीछे हो सकता है.